Arunima Sinha Biography अरुणिमा सिन्हा एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली अपंग भारतीय महिला है। अरुणिमा सिन्हा से फिर से एक बार साबित कर दिया की दृढ़ निश्चय, विश्वास और लगन के अगर कोई काम किया जाए। तो एक दिन सफलता जरूर मिलती है। नकली पैर होने के बावजूद दुनिया की सबसे ऊंची छोटी माउंट एवेरेस्ट पर फतेह करने वाली ऐसी भारत की साहसी बेटी ने सिद्ध कर दिया। की जब वो नकली पैरो के सहारे एवेरेस्ट पर चढ़ सकती है। तो हम जिंदगी में आने वाली छोटी – बड़ी मुश्किलों का सामना क्यों नहीं कर सकते। आइये उन्हें जीवन के बारे में कुछ जाने।
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Arunima Sinha Biography in Hindi
पूरा नाम अरुणिमा सिन्हा जन्म 20 जुलाई 1988 जन्म स्थान अंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश पेशा राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वालीबाल खिलाडी और पर्वतारोही प्रशिक्षण माउंटेनियरिंग पाठ्यक्रम
(नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग)प्राप्त पुरस्कार पदम् श्री( 2015),
तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड(2016),
अमेजन इंडियाकिताब बोर्न अगेन ऑन द माउंटेन (2014) प्रसिद्धि कारण माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय दिव्यांग सोशल मीडिया कांटेक्ट ट्विटर
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अरुणिमा सिन्हा का जन्म एवं शिक्षा एवं शुरुआती करियर :
अंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश में जन्म लेने वाली अरुणिमा सिन्हा के जन्म दिन की तारीख 20 जुलाई 1988 है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश से ही पूरी हुई थी। उसके बाद अरुणिमा सिन्हा ने नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी से माउंटेनियरिंग कोर्स किया था। हालांकि इनको पढ़ाई-लिखाई से ज्यादा खेल कूद रुचि थी। इन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर वॉलीबॉल भी खेला है, हालांकि ये वॉलीबॉल एवं फुलवाल दोनों की अच्छी खिलाड़ी थी। इसके लिए अरुणिमा सिन्हा ने काफी प्रैक्टिस भी की थी।
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अरुणिमा सिन्हा बचपन से ही वॉलीबॉल एवं फुटवॉल खेलने में ध्यान दिया करतीं थीं। अरुणिमा अपनी मेहनत के दम पर वॉलीबॉल में नेशनल खेल चुकी थी। खेलते समय ही इन्होंने नौकरी करनी चाही एवं सीआईएसएफ की एक पोस्ट के लिए आवेदन किया था। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, एक दिन ट्रैन हादसे में इनके साथ हुई दुर्घटना ने इनके करियर को पूरी तरह बदल कर रख दिया।
अरुणिमा सिन्हा ट्रेन एक्सीडेंट और दुघर्टना के बाद अरुणिमा सिन्हा की ज़िन्दगी का सफर :
11 अप्रैल 2011 की रात इनके साथ एक दर्दनाक हादसा हुआ। तब ये सीआईएसएफ की परीक्षा में शामिल होने के लिए पद्मावत एक्सप्रेस से लखनऊ से दिल्ली जा रही थीं। रात के करीब एक बजे बदमाश ट्रेन में चढ़े और उनका चेन छीनने की कोशिश की। अरुणिमा ने इसका विरोध किया, जिस कारण बदमाशों ने बरेली के नजदीक उन्हें ट्रेन से नीचे फेंक दिया। 7 घंटे ट्रैक पर पड़ी रहीं अरुणिमा के ऊपर से उस दौरान 49 ट्रेन गुजरती गईं। बायां पैर शरीर से अलग हो चुका था। शरीर बेजान था। आंखों के सामने चूहे पैर कुतर रहे थे। लेकिन दिमाग कह रहा था कि जीना है। 30 साल की अरुणिमा ऐसे मुश्किल हालात में हमेशा मौत से लड़ते हुए ज़िंदगी छीन लेती हैं।
अरुणिमा का एक पैर प्रोस्थेटिक है, तो दूसरे में लोहे की रॉड लगी हुई है। दुर्घटना के बाद उनकी स्पाइनल कॉर्ड में भी दो फ्रैक्चर थे। लेकिन 2011 में दिल्ली एम्स में चार महीने के इलाज के तुरंत बाद अरुणिमा घर जाने के बजाय सीधा बछेंद्री पाल से मिलने चली गई थीं। बिस्तर पर पड़े-पड़े उनका मकसद साफ हो चुका था कि उन्हें जिंदगी को बोझ की तरह लेकर सिर्फ जीना नहीं है। पर्वतारोहण करने की सलाह और मार्गदर्शन उन्हें उनके भाई ने दिया था।
अरुणिमा आर्टीफीशियल ब्लेड रनिंग भी करती हैं। नेशनल गेम्स (पैरा) में वे 100 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। वे उन्नाव के बेथर गांव में शहीद चंद्रशेखर आजाद खेल अकादमी को स्थापित करने में मदद कर रही हैं। आज वे दिव्यांग होने के बावजूद दुनिया की सेवन समिट्स यानी सातों महाद्वीपों के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंचने का कारनामा कर चुकी हैं।
Arunima Sinha Biography सात समिट्स पर पहुंचीं अरुणिमा :
चोटी का नाम | ऊंचाई (फिट में) |
एवरेस्ट (एशिया) | 29,035 |
किलिमंजरो (अफ्रीका) | 19,340 |
कोजिअस्को (आस्ट्रेलिया) | 7310 |
माउंट विन्सन (अंटार्कटिका) | 16,050 |
एल्ब्रूज (यूरोप) | 18,510 |
कास्टेन पिरामिड (इंडोनेशिया) | 16,024 |
माउंट अकंकागुआ (दक्षिण अमेरिका) | 22837 |
अरुणिमा सिन्हा के विवाद :
एक बार अरुणिमा सिन्हा को भगवान शिव के मंदिर के अंदर जाने से रोक दिया गया था। इस बात को इन्होंने सबके सामने ट्विटर पर रखा और कहा कि “मुझे इतनी तकलीफ माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने पर नहीं हुई थी। जितनी महाकाल मंदिर (उज्जैन) में शंकर जी के दर्शन दौरान हुई है। यहाँ के लोगों ने मेरी अपंगता का मजाक बनाया है। ” इसके चलते अरुणिमा ने अपने ट्वीट में पीएमओ को टैग किया एवं साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री ऑफिस के ट्वीटर अकाउंट को टैग किया।
इस पूरी घटना की जानकारी स्वयं अरुणिमा सिन्हा द्वारा 25 दिसंबर 2017 को 3 बजकर 25 मिनट शाम में दी गई थी। जिसके बाद महाकाल के मंदिर के मुख्य पुजारी ने जबाब में कहा कि इस मामले की जांच सीसीटीवी कैमरे के मदद से की जाएगी। जबकि मंदिर के सूत्रों के अनुसार सुरक्षा की वजह जांच हो रही थी। जिसमें अरुणिमा सिन्हा ने सुरक्षा कर्मियों से बहस की और नाराज होकर चली गई।
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